Thursday, July 3, 2008

सुपर 30 टूट गया..?

सुपर 30 टूट गया..?। लेकिन क्या टूटा। अभयानंद से आनंद टूटे या आनंद से अभयानंद? या फिर उन ग़रीब और बेहसहारा लोगों का इक सुंदर सा सपना जो जिनकी टाट के पैबंद सी जिंदगी में सुपर 30 का एक जगमगाती रौशनी भरती थी? ये मेरा सौभाग्य और संयोग दोनों है कि इस पवित्र मिशन के दोनों ही संचालकों को मैं जानता हूं। दोनों ही मेरे करीब रहे हैं। बेशक प्रोफेशनल स्तर पर ही सही। एक संयोग ये भी कि पिछले साल जब सुपर-30 के बंद होने की कगार पर पहुंचा था तो मैं पटना में ही था और पत्रकार की हैसियत से इसके बारे में जमकर लिखा था। कई प्रतिक्रियाएं आईं थी। पवन के कार्टून ने इसे और भी प्रभावशाली तरीके से उतारा था और इसके बाद अभयानंद जी और आनंद जी दोनों ने ही अपना फैसला वापस लिया था। लेकिन इसका कारण मैं कत्तई नहीं था, बल्कि दोनों ही संचालकों ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसा करने का फैसला किया था। तब मैंने व्यक्तिगत रूप से दोनों ही लोगों का शुक्रिया किया था। मन को अच्छा लगा था कि सुपर 30 रोशनी दिन-दुनी रात चौगनी और बढ़ेगी। लेकिन इस बार फिर ये खबर मिली की सुपर 30 से अभयानंद जी अलग हो गए हैं। इस बारे में उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लेकिन ये तय है कि उनके मन ने कुछ सोच कर ही ये फैसला किया होगा। गणितज्ञ आनंद जो कि सुपर 30 के स्तंभ में से एक हें ने मुझे बताया है कि ये कारवां रुकेगा नहीं। ये काफी संतोष की बात है। ईश्वर उनेक आत्मविश्वास को और बल दे। लेकिन दुनिया के सामने जो छाप सुपर 30 ने छोड़ी है उसमें अभयानंद जी का नाम हमेशा जुड़ा रहा है और वो जुड़ा रहेगा। वो लोग जो सुपर 30 के बारे में नहीं जानते उन्हें बताना चाहूंगा कि (जैसा अभयानंद और आनंद ने मुझे बताया है) इसमे हर साल 30 गरीब पर होनहार बच्चों को लिया जाता है। फिर उन्हें निशुल्क (खर्च आनंद उठाते हैं) पढ़ाया-लिखाया जाता है। भोजन और रहने की व्यवस्था की जाती है। आनंद और उनकी टोली गणित और अन्य विषय पढ़ाते हैं जबकि अभयानंद जी पुलिस की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भौतिकी पढाते हैं। और फिर इनमें से हर साल 90 फीसदी से अधिक बच्चे आईआईटी में प्रवेश पाते है। उस आईआईटी में जिसका पूर मतलब भी उनके माता-पिता नहीं समझ पाते। और यही कारण है कि सुपर 30 का नाम देश-विदेश में अमर हो रहा है। पटना की एक तंग गली में चल रहा ये प्रयास आज दुनिया के कई कोनों में अपनी कीर्ति का बखान कर रहा है। अब जबकि अभयानंद जी ने इस संस्थान में योगदान नहीं देने का फैसला किया है, ऐसे में आनंद कि जिम्मेवारी और बढ़ गई है। ऐसे में देखना ये है कि 2009 में सुपर 30 का क्या नतीजा निकलता है। मैं तो यही कामना करूंगा कि सब कुछ शुभ हो।

12 comments:

डॉ .अनुराग said...

दुःख है एक ओर संस्थान राजनीती की भेट चढ़ गया ....

रवि रतलामी said...

सुपर 30 ने वास्तव में एक नया इतिहास लिखा था. परंतु हर प्रॉडक्ट का, हर चीज का एक लाइफ़ साइकल होता है. इसे भी समाप्त होना ही था. मगर उम्मीद करें कि नया सुपर 30 - सुपर 60 जैसा बनकर निकले. आमीन !

Ashok Pandey said...

बिहार में वर्तमान में शिक्षा का जो माहौल बना है, उसे देखते हुए आश्‍वस्‍त रहा ही जा सकता है कि शुभ ही होगा।

Pragati Mehta said...

majbut bhawishya bananewala super 30 bhala khud kaise tut sakta hai. ise abhi aur aage jana hoga. sirf Bihar aur desh ke hi khatir nahin balki puri duniya ke khatir.....main ummid karta hun ki fir se dono majbut saktiyan is disha main safal prayash karengi.isi kamna ke sath....
dhanyabad.

Udan Tashtari said...

कामना ही कर सकते हैं!!!

Ranjan said...

हम यह सवाल उन राजनेताओं और पत्रकारों से पूछते हैं - जो "सुपर ३०" को अपना निशाना बना रहे हैं और थे - क्या गुनाह किया था अभयानंद जी ने ? किस कदर उनको तोड़ने की कोशिश पत्रकार और राज नेता गन कर रहे थे -
दुःख है बिहार की राजनीती और नीतिश के खोखले दामन पर !

Unknown said...

जब सुपर ३० के दुसरे स्तम्भ श्री आनंद कुमार राज नेताओं और अभय आनंद जी नफ़रत कराने वालों पुलिस अधिकारिओं की गोद में खेलने लगे - फ़िर अभयानंद जी के पास क्या उपाय बचा होगा ?

Anonymous said...

खर्च उठाना बहुत बड़ी बात नही है - जितना की आईडिया को लाना ! आनंद जी को खर्च से ज्यादा कहीं मुनाफा मिला - सुपर ३० आईडिया के बदौलत उनका ख़ुद का कोचिंग काफी चमक गया - नाम भी मिला और नीतिश का गोद में खेलने का मौका !

Anonymous said...

आनंद जी मालामाल हो गए - ख़ुद की कोचिंग में कई हज़ार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं - अभयानंद विरोधी पत्कारों और आशीष रंजन सिन्हा जैसे घोर जातीवाद कराने वाले पुलिस अधिकारी का साथ भी है - नीतिश का हाथ ऊपर से - फ़िर क्या जरुरत है - अभयानंद जैसे इमानदार लोगों की ?
प्रकाश कुमार ( सिंह) , आशीष रंजन सिन्हा , नीतिश कुमार ही विजेता बने ! आप सभी को सुपर ३० तोड़ने के लिए धन्यवाद !

Sarvesh said...

अभयानन्द जी ने जो सुपर ३० का कन्सेप्ट शुरु किया उससे समाज मे निचे तबके के लोगो को एक नई दिशा मिली. गरिब विद्यार्थी जो पढने मे तेज थे और जिन्हे बस एक मार्गदर्शन की जरुरत थी वो सुपर ३० से मिल जाती थी. सुपर ३० का बंद होना समाज के लिये एक नुकसानदेह है. लेकिन इसमे गहरी साजिस की बु तब नजर आने लगी जब पुर्व डि जी पी अशिश रंजन सिन्हा कुछ बच्चो को लेकर मुख्यमंत्री के पास परेड करा दिया. वही बच्चे बाद मे मिडिया के सामने आये और बोले कि उन्हे जबर्दस्ती बहला फुसला कर ले जाया गया था. आनन्द जी कब तक चैरिटि करते और उन्हे दो काम एक साथ करने मे शायद कठिनाई हो रही थी. एक सुपर ३० के नाम पर मुफ़्त शिक्षा और दुसरी ओर उनका वक्तिगत कोचिंग संस्थान.
वैसे सुनने मे आया है कि अभयानंद जी से कुछ मुस्लिम समाजसेवी और शिक्षाविदों नो मार्गदर्शन मांगी कि मुस्लिम विध्यार्थियों को कैसे आई आई टी मे पहुचाया जाय. वो सहर्ष तैयार हो गये.
शायद वो एक रास्ता बना गये कि अगर दुसरे नागरिक कुछ करना चाहें तो उनके मार्ग पर चल कर समाज के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं. मैं समाज के ऐसे प्रहरी के प्रती सदा नतमस्तक हुं. भारत सरकार को चाहिये कि उनका योगदान देश के विशिष्ट सेवांओं मे ले.
आप लोगो को अच्छी तरह याद होगा के जे राव और अभयानंद की जोडि जिसने बिना खुन खराबा के बिहार मे शांतीपुर्ण और निष्पक्ष चुनाव करवाया था.

Anonymous said...

Mere Dosto,
Yah aarop lagana ki Anand Kumar Nitish Aur AR Sinha Ke Goad me baith gaye hain ekdam galat hai.sach to yah hai ki Abhyanad hi Nitish ke Goad me the aur Jab Nitish ne goad se unhe utar diya to taklif ho rahi hai. Aur dosto aapko malum hona chahiye ki Anand Jee super 30 ke bad coaching shuru nahi kiye. Balki Pahle se coaching chala rahe hai aur bad me super 30 shuru kiye. Agar Anand Jee coaching se kuch Paisa kama lete hai hai to Paisa kamana koi galat bat to nahi hai.
Main aap se ek Prashan Puchhata hu ki Agar koi Bihari Imandari se Paisa Kamaye aur social work kare to kya wah galat hai????????

Anonymous said...

main super 30 ka ek student hoon...super 30 mein waise bhi abhyanad ji ka koi khas yogdan nahi hai....wo class mein aa kar hum sabka bahut dimag chatte the..agar wo super 30 se alag hi ho gaye to itna shor kyun macha rahe hain aur agar itna shor machaya ki alag ho gaye to phir ab super 30 ka naam kyun use kar rahe hain.....agar wo itne imaandar hain to mere khyal se unhe ab super 30 ka naam use kar ke naam nahi kamana chaiye......kya logon ko unhe yaad dilane ki jarurat hai ki wo super 30 se alag ho chuke hain???


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