Sunday, July 13, 2008

सुलगते सवाल

शायद से सच हो। लेकिन चूंकि मामला अदालत में है और जांच भी चल रही है इस वजह से इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है। लेकिन सीबीआई ने जो थ्योरी सामने रखी है उसपर इतनी आसाने से यकीन नहीं हो रहा। और ये लेख भी सिर्फ सीबीआई की थ्योरी के सिलसिले में है। आरुषि हत्याकांड का है और अब जब राजेश तलवार को क्लिन चिट मिलने के बाद सीबीआई ने राजकुमार, कृष्णा, और विजय मंडल को इसका मुख्य आरोपी बताया है। बेशक वो वैज्ञानिक जांच कि रिपोर्ट के आधार पर ऐसा कह रही है। लेकिन असल फांस यहीं है। सवाल जो मन में उठ रहे हैं वो ये सिर्फ ये है कि क्या यही तीनों क़ातिल हैं। अगर हां, तो क्या ये तीनों नौकर इतने दिन से इसी बात का इंतज़ार कर रहे थे कि पुलिस या सीबीआई आए और वो हमें उठा कर ले जाए। और हम तीनों हत्यारों को सज़ा मिल जाए। आखिर ऐसी क्या वजह थी जो ये तीनों हत्या करने के बाद बेखौफ नोएडा में ही जमे रहे। न तो नोएडा में इनका घर था, और नही कोई ऐसी लाखों के पघार वाली कोई नौकरी जिसके छूटने का गम होता। क्या ये तीनों इतने पावरफुल थे कि इन्होंने ये सोच रखा था कि पुलिस और सीबीआई इनका कुछ नहीं बिगाड़ेगी। क्या इनके मन में एक बार भी ये ख्याल नहीं आया होगा कि हत्या के बाद भाग चला जाए। वो भी तब जब शुरुआती एक महीने से अधिक समय में पुलिस और सीबीआई का इनकी ओर ध्यान तक नहीं गया। बात आसानी से समझ में नहीं आर रही। जिस तरह से इस मामले में जांच आगे बढ़ी और एक के बाद एक बातें सामने आ रही हैं, इन सुलगते सवालों का जवाब कभी मिल पाएगा?

2 comments:

Alok Pandey said...

aapki soch bilkul sahi hai.yadi koi hatyara hota hai to wah usse bachne ka prayas karta hai na ki police ka intejar karta hai. isme jaroor koi aur baat hai .cbi ko us angle per dhyan dena chahiye

Anonymous said...

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