Tuesday, June 24, 2008

बोलो...ख़रीदोगे ?

एक ख़बर...सॉरी...."मसाला" बिकने को तैयार है। झमाझम और झोली भर टीआरपी के साथ। बिल्कुल तमाशाई अंदाज़ में। लेकिन ख़रीदार चाहिए। कलेजे वाला। ये आइडिया हिट होगा इसकी गारंटी। अब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर कौन सी ख़बर है जिसके चलने से पहले ही टीआरपी का लंबा-चौड़ा सपना दिखाया जा रहा है। तो सोचिए..। दीमाग लगाइए। वैसे कुछ ख़ास बचा नहीं है। सांप की शादी। भूतों का हनीमून। मंगर पर पानी। सूरज की तपिश और दुनिया का नाश। हवन से बारिश। गप्पु नाचे-झमाझम। ये तमाम तमाशे पहले ही हो चुके हैं। तांत्रिकों का पाखंड। रत्नों का खेल तमाम तमाशे इस देश की जनता ने देख लिए हैं। ख़बरों को टटोलने वाले हाथ रिमोट के बटन एक-एक कर कितनी ही बार दबा लें हर नई दुकान ऐसा ही पकवान परोसे बैठे हैं। ऐसे में नया क्या है? ज़ाहिर है सवाल बेहद मुश्किल है। लेकिन एक कमाल का आइडिया एक बेहद आम और डाउन मार्केट दर्शक की जुबां ने उगला है। वो कहता है कि कोई चैनल अपने स्टूडियो में बंदर का नाच क्यों नहीं दिखा देता? मदारी के साथ बंदर का नाच..। वो भी लाइव। मजा आ जाएगा। वैसे इस डाउन मार्केट वियूवर के विचार गौर करन लायक हैं। ज़रा सोचिए...। हममें से कितने लोग आज बंदर के साथ मदारी के तमाशे को देख पाते हैं। हमारी नई एसएमएस जेनरेशन तो इससे एकदम वंचित है। अगर उन्हें इसका नज़ारा टेलीवीजन पर हो जाए तो उनका कितना भला होगा। घर पर पापा-मम्मी, दादा-दादी, चुन्नु-पप्पू सब एक साथ ये बंदर नाच देखेंगे। और तीनों पीढ़ी एक साथ अपने अनुभवों को बांट सकेगी। मजा आ जाएगा। बस ज़रूरत है एक शानतार प्रोमो और धमाकेदार वीओ के साथ इसे एयर पर डालने की। फिर मजाल है कि टीआरपी नहीं आए। तो भई एक आम दर्शक की ये चाह तो तभी पूरी होगी जब इस ख़बर ....मसाला को ख़रीदने को कोई तैयार हो जाए....। वही दर्शक पूछ रहा है कि...बोलो...ख़रीदोगे ?

2 comments:

Udan Tashtari said...

हमने दिखाया था यह अपने ब्लॉग से..टी आर पी बढ़िया रही अतः आप सही कह रहे हैं: http://udantashtari.blogspot.com/2008/03/blog-post_31.html आया रे मदारी आया..याने स्क्रिप्ट तैयार है. बिकवा दो भईया...बहुत आभारी रहूँगा. :)

Pragati Mehta said...

bahut sahi mere bhai......


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