तिरंगा नहीं तो क्या? उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। पड़े भी क्यों? क्या नहीं है उनके पास। कार। हार। और जीत का वो सेहरा जिसके फूल आज 25 साल बाद भी कुम्हलाने का नाम नहीं ले रहे। फिर ऐसे में तिरंगा भूल गए तो क्या? कोई चोरी थोड़े ही न की है? लेकिन एक चैनल के जज़्बे की तो दाद देनी ही होगी। जिसने पूरे एक सेगमेंट में इस बहस को देश के साने लाने का हौसला दिखाया। लेकिन निराशा ये देखकर हुई कि अभी ये बहस गर्म हो ही चला..। दर्शकों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू ही हुईं थी कि अचानक से पूरा सीन बदल गया और एंकर ने दूसरे प्रोग्राम को टीज़ कर दिया। फिर इसके बाद इस लाख ढूंडने पर इस तेवर के साथ ये मुद्दा पूरे चैनल में कहीं नहीं दिखा। जाने दीजिए। जितना दिखाया वो भी कम बड़ी बात नहीं थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं लार्डस के मैदान पर कपिल एंड कंपनी के जलसे की जिसमें तिरंगा कहीं भी नज़र नहीं आया और .ये नज़र आ गया एक टीवी चैनल को। सवाल में दम था। लेकिन जवाब उतना ही फिसड्डी तरीके से दिया हमारे सन 84 के धुरंधरों ने। बहाना ये कि "कई फौरमेलिटीज थीं....."। जाने दीजिए। आपकी तो आप जानें। हम तो बस इतना जानते हैं कि तिरंगे को आप वहां न ले जाएं ऐसी कोई भी मजबूरी नहीं हो सकती। अगर शैंपेन पीनी की इज़ाजत ली जा सकती थी तो तिरंगे को लहराने में कई शर्म नहीं आना चाहिए था। लेकिन हम किसी से शिकायत नहीं करेंगे। क्योंकि तिरंगा को सम्मान नहीं देने वालों को देश क्या कहता है इसके बारे में न तो लिखने और न ही बताने की कोई जरूरत है। ये बात सही है कि तिरंगा लेकर घूमने से ही कोई देशभक्त नहीं कहलाता। लेकिन इस तर्क के बहाने लार्डस में हुई गलती से क्या मुंह मोड़ा जा सकता है. ... शायद नहीं।
Friday, June 27, 2008
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1 comments:
Ye behad dukhad hai. Is Mamle par koi tark dene ke bajai turant Unhe Hindustan ki janta se mafi mangni chahiye.
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